Friday, April 25, 2025

पुस्तक भेंट


सान्निध्य सुख ! पुस्तक भेंट !
भारतीय ज्ञान परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप
प्रो.आलोक राय
मा.कुलपति 
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ

Thursday, April 24, 2025

पदीय गरिमा के अनुरुप हो हमारा कार्य : डॉ. सौरभ मालवीय





विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के अन्तर्गत जन शिक्षा समिति-अवध प्रदेश(उत्तर प्रदेश)द्वारा 21 से 24 अप्रैल 2025 तक आयोजित प्रान्तीय वार्षिक कार्य योजना बैठक सरदार गनपत राय सरस्वती विद्या मन्दिर रानोपाली अयोध्या मे सम्पन्न हो रही है।

 विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री डा•सौरभ मालवीय जी ने जिला व संकुल प्रमुख प्रधानाचार्यो के साथ पदीय दायित्व विषय पर चर्चा वार्ता करते हुए कहा कि हमारा संस्थान समाज पोषित है इसलिए समाज के अधिक से अधिक लोगो को जोड़ना तथा अपने पदीय गरिमा की रक्षा करते हुए सभी को सम्मान प्रदान करना।

क्षेत्रीय मंत्री जी ने सभी जिला व संकुल प्रमुखों से अपने कार्य क्षेत्र मे आने वाले विद्यालयों मे निरन्तर प्रवास करने,प्रवास के दौरान आयी समस्याओं को अपने स्तर से दूर करवाने का प्रयास करने तथा अपने जिला व संकुल के विद्यालयो के विकास हेतु बिन्दुओ का एजेण्डा नोट कर जिला तथा संकुल के प्रधानाचार्यो की बैठक आहूत करना तथा बैठक मे अपने प्रदेश निरीक्षक जी व सम्भाग निरीक्षक जी की भी उपस्थिति सुनिश्चित कराना श्रेष्ठतम रहेगा। उक्त अवसर पर श्री योगेश जी , प्रदेश निरीक्षक श्री मिथिलेश अवस्थी जी की विशेष उपस्थिति रही।
विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश
जन शिक्षा समिति-अवध

Wednesday, April 23, 2025

बैठक




विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश,लखनऊ
क्षेत्रीय शोध टोली की एक दिवसीय बैठक 

Tuesday, April 22, 2025

पुस्तक भेंट


सान्निध्य सुख ! पुस्तक भेंट !
भारतीय ज्ञान परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप
प्रो. रवींद्रनाथ श्रीवास्तव
संयोजक, राजभाषा हिन्दी विभाग, 
नव नालंदा महाविहार, नालंदा

Friday, April 18, 2025

भारतीय संस्कृति की धूम


डॉ. सौरभ मालवीय  
भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा एवं सांस्कृतिक धरोहर संपूर्ण विश्व में सराही जा रही है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने श्रीमद्भगवद गीता एवं महान नाट्यकार भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र को अपने प्रतिष्ठित विश्व स्मृति रजिस्टर में सम्मिलित किया है।

विश्व विरासत दिवस के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज यह जानकारी देते हुए कहा कि यह भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने एक्स पर लिखा- ”श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में सम्मिलित किया गया है। यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान एवं कलात्मक प्रतिभा का उत्सव मनाता है। ये कालातीत रचनाएं साहित्यिक कोष से कहीं बढ़कर हैं - वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, अनुभव करने, जीने और अभिव्यक्त करने के ढंग को आकार दिया है।”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में सम्मिलित किए जाने की प्रशंसा करते हुए इसे हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मान्यता प्रदान किया जाना बताया। गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में सम्मिलित किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मान्यता प्रदान किया जाना है। गीता एवं नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करना जारी रखे हुए है।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के अनुसार इस वर्ष मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में कुल 74 नई प्रविष्टियां सम्मिलित की गईं। मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में संग्रहों की कुल संख्या 570 हो गई है, जो वैश्विक बौद्धिक और सांस्कृतिक स्मृति के विशाल ताने-बाने का प्रतिनिधित्व करती है। इस सूची में ऐसे महत्वपूर्ण विधिक लेख्य एवं ग्रंथ सम्मिलित किए जाते होते हैं, जो मानव सभ्यता, संस्कृति एवं इतिहास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। नई सम्मिलित की गई प्रविष्टियां वैज्ञानिक क्रांतियों, महिलाओं के योगदान एवं बहुपक्षीय सहयोग के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, जिन्हें 72 देशों और चार अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। भारत के पास अब मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में 14 शिलालेख सम्मिलित हैं।

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले का कहना है कि विधिक लेख्य धरोहर विश्व की स्मृति का एक आवश्यक परंतु कोमल तत्व है। यही कारण है कि यूनेस्को सुरक्षा में निवेश करता है- जैसे कि मॉरिटानिया में चिंगुएट्टी के पुस्तकालय या कोटे डी आइवर में अमादौ हम्पाते बा के अभिलेखागार - सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करते हैं, और इस रजिस्टर को बनाए रखते हैं, जो मानव इतिहास के व्यापकतम धागों को रिकॉर्ड करता है।

इस वर्ष 2025 की सूची में वैज्ञानिक विधिक लेख्यों से लेकर ऐतिहासिक महिला नेत्रियों, दासता की स्मृति एवं मानवाधिकारों से संबंधित अभिलेख भी सम्मिलित हैं।
उल्लेखनीय है कि श्रीमद्भगवद गीता, महाभारत का एक अंश है। यह एक धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें धर्म एवं कर्म आदि का उल्लेख है। नाट्यशास्त्र, भारतीय रंगमंच अर्थात नृत्य एवं नाट्यकला का मूल ग्रंथ माना जाता है।

अहिल्यबाई होलकर भारतीयता की प्रतीक थी : डॉ.सौरभ मालवीय





शिक्षा का क्षेत्र ही सामाजिक परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम माध्यम होता है। उसमें साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साहित्य ही ज्ञान को संरक्षित करता है। संस्कारयुक्त शिक्षा हमारा उद्देश्य है। विद्या भारती अनेक वर्षों से समाज में भारतीयता पूर्ण शिक्षा एवं आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़े रहने का लक्ष्य लेकर काम कर रही है।

 उक्त बातें विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री डॉ.सौरभ मालवीय ने भारतीय शिक्षा समिति कानपुर प्रांत द्वारा प्रकाशित  'लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर' विशेषांक के विमोचन करते हुए कही।

सरस्वती  विद्या मंदिर इंटर कॉलेज दामोदर नगर कानपुर में भारतीय शिक्षा समिति कानपुर प्रांत द्वारा तीन दिवसीय प्रधानाचार्य समीक्षा एवं कार्य योजना बैठक आयोजित की गई जिसमें सभी संकुल से प्रधानाचार्य ने सहभाग किया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री भवानी जी प्रांत संघ चालक , डॉ. सौरभ मालवीय क्षेत्रीय  मंत्री पूर्वी उत्तर प्रदेश, श्री रजनीश जी प्रांत संगठन मंत्री कानपुर प्रांत  ने दीप  प्रज्ज्वलित किया। डॉक्टर सौरभ मालवीय, भवानी जी प्रांत संघ चालक जी ने श्री रजनीश जी ने अनुभव पत्रिका का विमोचन संकुल प्रमुख व प्रांत प्रमुख श्री रामकृष्ण बाजपेई जी के साथ किया इसके बाद मा सौरभ मालवीय जी ने  कानपुर प्रांत की बेवसाइट का लोकार्पण किया इसके बाद डॉ.मालवीय ने कहा कि हम योजना बनाकर कार्य  करते हैं हमारी प्रमुख भूमिका विद्यालय को श्रेष्ठ बनाना है विद्यालय जीवंत है इसके हम प्रेरक हैं  तब विद्यालय समाज केंद्रित होता है। छात्रों के सर्वांगीड़ और समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए बहुत सारे कार्यक्रम और गतिविधियों की योजना भी हम विद्यालय स्तर पर करते है।

भवानी जी ने कहा कि हम राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का कार्य करते हैं अतः हमको अपने कार्य के प्रति समर्पित होकर कार्य करना चाहिए इस कार्यक्रम में मा ,डॉक्टर  राकेश निरंजन जी अध्यक्ष, श्री अयोध्या प्रसाद जी मिश्र प्रदेश निरीक्षक, श्री आर के सिंह जी सह मंत्री जी  श्री अजय जी ,श्री शिवकरण जी संभाग निरीक्षक श्री शिव सिंह जी सेवा प्रमुख,विद्यालय के प्रबंधक श्री ओम  प्रकाश अग्रवाल जी तथा समस्त प्रधानाचार्य बंधु एवं भगिनी उपस्थित रहे।

पुस्तक भेंट

सान्निध्य सुख ! पुस्तक भेंट ! भारतीय ज्ञान परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप प्रो.आलोक राय मा.कुलपति  लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ