डॉ. सौरभ मालवीय
भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा एवं सांस्कृतिक धरोहर संपूर्ण विश्व में सराही जा रही है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने श्रीमद्भगवद गीता एवं महान नाट्यकार भरत मुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र को अपने प्रतिष्ठित विश्व स्मृति रजिस्टर में सम्मिलित किया है।
विश्व विरासत दिवस के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज यह जानकारी देते हुए कहा कि यह भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने एक्स पर लिखा- ”श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में सम्मिलित किया गया है। यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान एवं कलात्मक प्रतिभा का उत्सव मनाता है। ये कालातीत रचनाएं साहित्यिक कोष से कहीं बढ़कर हैं - वे दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, अनुभव करने, जीने और अभिव्यक्त करने के ढंग को आकार दिया है।”
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में सम्मिलित किए जाने की प्रशंसा करते हुए इसे हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मान्यता प्रदान किया जाना बताया। गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में सम्मिलित किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मान्यता प्रदान किया जाना है। गीता एवं नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करना जारी रखे हुए है।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के अनुसार इस वर्ष मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में कुल 74 नई प्रविष्टियां सम्मिलित की गईं। मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में संग्रहों की कुल संख्या 570 हो गई है, जो वैश्विक बौद्धिक और सांस्कृतिक स्मृति के विशाल ताने-बाने का प्रतिनिधित्व करती है। इस सूची में ऐसे महत्वपूर्ण विधिक लेख्य एवं ग्रंथ सम्मिलित किए जाते होते हैं, जो मानव सभ्यता, संस्कृति एवं इतिहास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। नई सम्मिलित की गई प्रविष्टियां वैज्ञानिक क्रांतियों, महिलाओं के योगदान एवं बहुपक्षीय सहयोग के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, जिन्हें 72 देशों और चार अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। भारत के पास अब मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में 14 शिलालेख सम्मिलित हैं।
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले का कहना है कि विधिक लेख्य धरोहर विश्व की स्मृति का एक आवश्यक परंतु कोमल तत्व है। यही कारण है कि यूनेस्को सुरक्षा में निवेश करता है- जैसे कि मॉरिटानिया में चिंगुएट्टी के पुस्तकालय या कोटे डी आइवर में अमादौ हम्पाते बा के अभिलेखागार - सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करते हैं, और इस रजिस्टर को बनाए रखते हैं, जो मानव इतिहास के व्यापकतम धागों को रिकॉर्ड करता है।
इस वर्ष 2025 की सूची में वैज्ञानिक विधिक लेख्यों से लेकर ऐतिहासिक महिला नेत्रियों, दासता की स्मृति एवं मानवाधिकारों से संबंधित अभिलेख भी सम्मिलित हैं।
उल्लेखनीय है कि श्रीमद्भगवद गीता, महाभारत का एक अंश है। यह एक धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें धर्म एवं कर्म आदि का उल्लेख है। नाट्यशास्त्र, भारतीय रंगमंच अर्थात नृत्य एवं नाट्यकला का मूल ग्रंथ माना जाता है।
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