- खेती भारत का बुनियादी उद्योग है.
- अन्न उत्पादन द्वारा आत्मनिर्भरता के बिना हम न तो औद्योगिक विकास का सुदृढ़ ढांचा ही तैयार कर सकते है और न विदेशों पर अपनी खतरनाक निर्भरता ही समाप्त कर सकते हैं.
- हमारा कृषि-विकास संतुलित नहीं है और न उसे स्थायी ही माना जा सकता है.
- कृषि-विकास का एक चिंताजनक पहलू यह है कि पैदावार बढ़ते ही दामों में गिरावट आने लगती है.
Wednesday, August 8, 2018
कृषि : अटल बिहारी वाजपेयी के अनमोल विचार
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अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति पर विचार हो
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टूटते संबंध , बढ़ता अवसाद - डॉ . सौरभ मालवीय मनुष्य जिस तीव्र गति से उन्नति कर रहा है , उसी गति से उसके संबंध पीछे ...
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